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प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह महासंघ (म. प्र)
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महासंघ विचारधारा
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महासंघ विचारधारा
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प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह महासंघ महिला बहनों एवं लोक कल्याण पर आधारित समाजसेवा संगठन है। यह किसी परिवार, जाति या वर्ग विशेष संगठन नहीं है । महासंघ परिवार में जोड़ने वाला सूत्र है- महिला बहनों की परेशानियों को हल करना एवं रोजगार प्राप्त कराना और साथ ही यह आत्मविश्वास कि अपने पुरुषार्थ से हम इन्हें प्राप्त करेंगे एवं कराएंगे।
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महासंघ की विचारधारा को एक शब्द में कहना हो तो वह है ‘नारी का सम्मान’। हमारा मूल उद्देश्य , हमारी प्राथमिकता है।
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पहली प्राथमिकता है स्व सहायता समूह एवं रसोइयों बहनों की हरसंभव परेशानियों को हल करना। स्व सहायता समूह की महिलाओं को हो रही परेशानियों को संगठित होकर शासन तक बात को पहुंचाना एवं जमीनी स्तर पर हर संभव प्रयास करना । हमारी विचारधारा के अनुसार हर महिला हमारी बहन है । भारत मां की संतान होने के नाते सभी भारतवासी सहोदर यानि भाई-बहन हैं। यदि बहन को किसी प्रकार की हो रही परेशानी से जूझना पड़ रहा है तो वह उस बहन की परेशानी नहीं बल्कि महासंघ की परेशानी है। बहनों को अपना हक अधिकार दिलाना ही हमारी पहली प्राथमिकता।
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एकात्म मानववाद हमारा मूल दर्शन है। यह दर्शन हमें मनुष्य के शरीर, मन, बृद्धि और आत्मा का एकात्म यानि समग्र विचार करना सिखाता है। यह दर्शन मनुष्य और समाज के बीच कोई संघर्ष नहीं देखता, बल्कि मनुष्य के स्वाभाविक विकास-क्रम और उसकी चेतना के विस्तार से परिवार, गाँव, राज्य, तक उसकी पूर्णता देखता है। यह दर्शन प्रकृति और मनुष्य में मां का संबंध देखता है, जिसमें प्रकृति को स्वस्थ बनाए रखते हुए अपनी आवश्यकता की चीज़ों का दोहन किया जाता है।
एकात्म मानववाद और ये निष्ठाएं हमारे वैचारिक अधिष्ठान निम्नलिखित हैं -
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महासंघ और स्व सहायता समूह एकात्मता: हमारा मानना है कि स्व सहायता समूह महिलाओं को बढ़ाई परेशानी किसी एक की नहीं है, बल्कि यह महासंघ की है। हिमालय से कन्याकुमारी तक प्रकृति द्वारा निर्धारित यह देश है। इस देश-भूमि को देशवासी माता मानते हैं । उनकी इस भावना का आधार प्राचीन संस्कृति और उससे मिले जीवनमूल्य हैं। हम इस विशाल देश की विविधता से परिचित हैं। विविधता इस देश की शोभा है और इन सबके बीच एक व्यापक एकात्मता है। यही विविधता और एकात्मता महासंघ की विशेषता है। महासंघ महिला सम्मान एवं लोक कल्याण के लिए कार्यरत है। प्रवेश में अनेक संगठन है एवं रहे, पर प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह महासंघ ने एकात्म मानववाद से गति प्रदान की।
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महासंघ मूल मंत्र : विश्व की प्राचीनतम ज्ञात पुस्तक ऋग्वेद का एक मंत्र ‘एकं सद विप्राः बहुधा वदन्ति उल्लेखनीय है। इसका अर्थ है, सत्य एक ही है। विद्वान इसे अलग-अलग तरीके से व्यक्त करते हैं। भारत के स्वभाव में यह बात आ गई है कि किसी एक के पास सच नहीं है। मैं जो कह रहा हूं वह भी सही है, आप जो कह रहे हैं वह भी सही है। विचार स्वातंत्र्य (फ्रीडम ऑफ थॉट्स एंड एक्सप्रेशन) का आधार यह मंत्र है।
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संस्कृत में एक और मंत्र है- ‘वादे वादे जयते तत्त्व बोध:’ । इसका अर्थ है चर्चा से हम ठीक तत्त्व तक पहुँच जाते हैं। चर्चा से सत्य तक पहुंचने का यह मंत्र महासंघ में प्रभावशाली स्वभाव बनाता है। इन दोनों मन्त्रों ने महासंघ का प्रभाव स्वरूप गढा-निखारा है। महासंघ ने इसी मूल मंत्र का स्वभाव ग्रहण किया है। महासंघ मूल मंत्र कार्यकारिणी की अनुरूप व्यवस्था है।
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प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह महासंघ ने अपने संघ के अंदर भी व्यवस्था को मजबूती से अपनाया है। महासंघ संभवतः अकेला ऐसा संगठन है, जो हर साल जमीनी स्तर पर परेशानियों को लेकर शासन से गुहार लगाता है एवं महिला बहनों का सहयोग करता है, पर्यावरण को लेकर नियमित ` वृक्षारोपण अभियान` चलाता है। यही वजह है कि भारत में पहला मध्यप्रदेश है जहां पर रसोईया बहनों को ₹2000 महा मिलता है। और इसी तरह महासंघ परिवार द्वारा अलग-अलग स्तरों से लेकर चोटी तक पहुंचना संभव होता रहा है।
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महासंघ का किसी एक जगह केन्द्रित होकर कार्य करना यह संघ की रीत है। इसीलिए महासंघ में व्यवस्था है। प्रदेश संभाग,जिला,नगरपालिका और पंचायत सभी के काम और ज़िम्मेदारियां बंटी हुई हैं। सब को अपनी-अपनी जिम्मेदारियां महासंघ के द्वारा प्राप्त होती हैं। महासंघ द्वारा मिली अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए सभी ( प्रदेश संभाग,जिला,नगरपालिका और पंचायत) स्वतंत्र हैं। गांव की महिलाओं को रोजगार प्राप्त हो रहा है।
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प्रदेश के प्रति हमारी निष्ठा आपातकाल में जगजाहिर हुई। कोरोना काल में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमान शिवराज सिंह चौहान जी एवं माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा में भारत में संपूर्ण लॉकडाउन घोषित कर दिया था। तब हमारे महासंघ परिवार की महिला बहनों द्वारा घर-घर जाकर पोषण आहार का वितरण किया एवं जरूरतमंदों को सहयोग राशि प्राप्त कराई महासंघ द्वारा एवं प्रदेश के लिए डोनेशन के रूप में स्व सहायता समूह कार्यरत रसोईया बहनों एवं स्व सहायता समूह अध्यक्ष, सचिव , सदस्यों की 1 दिवस की राशि मध्य प्रदेश के विकास के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में 6 करोड 50 लाख 50 हजार 993 रुपए दान (डोनेट) की।
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महिला बहनों के प्रति अपनी निष्ठा के कारण ही हम प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह महासंघ खड़ा कर सके। स्व सहायता समूह को संगठित करके एक बड़ा संघर्ष किया। कई संघर्ष का परिणाम था 12 जून 2018 जब हजारों महिलाओं की तादाद में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में महिला बहनों द्वारा गूंज उठा शाहजहानी पार्क तुरंत उसका परिणाम सामने आया रसोइयों बहनों की राशि 1000 रुपए बड़ा कर 2000 रुपए महा की । आंदोलनों में कई बार महिला बहनों की शक्ति सामने आई।
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शासन द्वारा महासंघ को सहयोग देने के विषय पर ; जिससे शोषणमुक्त और समतायुक्त समाज की स्थापना हो सके: सामाजिक दृष्टिकोण भेदभाव और शोषण से मुक्त समतामूलक समाज की स्थापना है। दुर्भाग्य से एक समय में, आजीविका एवं मध्यान्ह भोजन पर छोटे या बड़े का निर्धारण होने लगा, अर्थात् छोटे या बड़े की विषैली अब मध्यान्ह भोजन हटाने तक पहुंच गई। 2002 से संचालित मध्यान्ह भोजन अब कई जगह हटाए जाने लगे हैं उनकी जगह अब आजीविका समूह आ रहे प्रदेश अध्यक्ष जी द्वारा कई बार शासन को अवगत कराया लेकिन कोई परिणाम सामने नहीं आया। मध्यान्ह भोजन एवं महिला बहनों को बेरोजगार होने से बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। आज भी यह विषमता पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है।
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क्या वजह है कि मध्यान्ह भोजन के साथ अनेक प्रकार से भेदभाव होते हैं और उन्हें यह अहसास कराया जाता है कि वे बाकी समूह से कमतर हैं। प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह महासंघ इसे स्वीकार नहीं करता। हम मानते हैं कि सभी में एक ही ईश्वर समान रूप से विराजता है। मनुष्य मात्र की समानता और गरिमा का यह दार्शनिक आधार है। प्रदेश स्व सहायता समूह को भेदभाव के शोषण से मुक्त कराकर समरस समाज बनाना हमारी आधारभूत निष्ठा है।
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केन्द्रीकरण के अराज्यपने खतरे होते हैं और यह स्थिति प्रदेश में भ्रष्टाचार को बढ़ाती है। हमारी मांग सही साधनों पर भरोसा करने की है। हमने किसी ‘वाद’ को जन्म नहीं दिया, बल्कि उनके जीवन के प्रति एकात्म प्रयास को उजागर करते हैं।
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महासंघ के दृष्टिकोण के आधार पर स्व सहायता समूह भी आर्थिक शोषण के खिलाफ है और साधनों के समुचित बंटवारे की पक्षधर है। मनुष्य की मूल आवश्यकताओं में रोटी, कपड़ा और मकान के साथ शिक्षा और रोज़गार को भी जोड़ते थे। आर्थिक विषमताओं की बढ़ती खाई को पाटा जाना चाहिए। अशिक्षा, कुपोषण और बेरोज़गारी से एक बड़ा युद्ध लड़कर ‘‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’’ का आदर्श प्राप्त करना हमारी मौलिक निष्ठा है। यदि शासन द्वारा हमें संयोग दिया जाए तो शासन की विभिन्न महत्वपूर्ण योजनाओं को जरूरतमंदों को जमीनी स्तर पर संचालन कराने में अपना पूर्ण योगदान देंगे , उनका लाभ को में अपना योगदान दें। महासंघ मूल्यों के आधार पर अपनी बुद्धि, प्रतिभा और पुरुषार्थ से हर संभव प्रयास कर रहे हैं। वर्तमान में कई जिलों में शासन की कार्यशील योजनाएं परसेंट , कमीशन के कारण कागजों में सीमित है।
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वह संगठन पूरे मध्यप्रदेश में एक ऐसा संगठन है जो समाज के सेवा में पूरी तरह से समर्पित होकर काम कर रही है पूरे प्रदेश में महिलाओं के लिए बहनों के लिए बच्चों के लिए बेसहारों के लिए सहारा के रूप में बनाया गया है इस संगठन में पूरी तरह से ईमानदारी और निष्ठा के साथ प्रदेश के कोने-कोने से महिलाएं बहने भूखों को भोजन कराने के लिए समर्पित हैं अपने सेवा और समर्पण के भाव के लिए जानी जाती है।
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वैसे भी हमारी धरती माता गौ माता और जननी माता जो हमें जन्म देती है इन सभी माताओं के सहयोग से पूरी सृष्टि की रचना कोई है और बची हुई जिस तरह से पूरी दुनिया में आपाधापी का दौर चल रहा है ऐसी परिस्थितियों में हमारे संगठन की माताओं की ताकत जान रक्षा के लिए बना हुआ जिस तरह से महात्मा गांधी विनोबा भावे लोकनायक जयप्रकाश नारायण के साथ अनेक सपूतों ने अपनी भारत देश की आत्मा को बचाने के लिए समर्पण भाव से लोक जागरण में लगे रहे उसी तरह से स्व सहायता समूह संग के बहनों के द्वारा संगठन का निर्माण किया गया है और पूरे प्रदेश में इस संगठन को मजबूत किया जा रहा है अपने अधिकार और कर्तव्य के प्रति सजग प्रहरी के रूप में काम कर रहे हैं किसके साथ हमारे संगठन का उद्देश केवल मध्य प्रदेश का ही है बल्कि इसकी रोशनी पूरे देश तक हेलो और प्रत्येक बहनों का दुख सुख में साथी बने।
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परिवार से परिवार को जोड़ते हुए व्यापक लोक जागरण जन जागरण सेवा और समर्पण के इस अभियान को जन जन तक पहुंचाने के लिए संकल्पित हैं इसी संकल्प को लेकर भोपाल में हमारे संगठन का जन्म हुआ सर्वसम्मति से श्रीमती सरिता ओम प्रकाश बघेल जी को संगठन का नेतृत्व करने के लिए जिम्मेदारी दी गई है और बहुत कम समय में संगठन की ताकत उसके उर्जा उसकी रोशनी उसकी व्यवस्था को लेकर प्रदेश के कोने कोने तक इसकी आवाज जा पहुंची है ।
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हमारा अपना संगठन है अपने जिन लक्ष्यों को लेकर चल रहा है उसमें प्रदेश प्रत्येक घर परिवारों में जाकर बहनों को एक दूसरे के साथ जोड़ना उनके दुख सुख में भागीदारी बनना राष्ट्रीय एकता विश्व शांति पर्यावरण की पूर्ण सुरक्षा सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना शिक्षण संगठन रचना और संघर्ष इसका मुख्य उद्देश्य ।
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शिक्षण का अर्थ लोगों से लोगों के प्रति लोगों को जोड़ना जन जागरण करना संगठन का मतलब हम एक इकाई से लेकर पूरे प्रदेश तक संगठित होना रचनाकार है जगह जगह रचनात्मक कार्यक्रमों को बढ़ावा देना जो भी हमारे अपने बीच में न्याय संगत कार्यक्रम हो रहे हैं उनको ताकत देना उसे मजबूत करना उसे प्रचारित और प्रसारित करना ताकि उसके कारण शांति व्यवस्था कायम रहे।
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इसके साथ साथ हमारे अपने समूह के बहनों को किसी तरह से इन कामों में कोई अड़चन आता है रुकावट आती है हमारी नहीं सुनी जाती है तो अंत में बसता है संघर्ष का रास्ता संघर्ष भी कैसा जो सत्य और अहिंसा के बीच में रहकर शांति में तरीके से अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए अपने अधिकार के प्रति सजग रहना लड़ाई लड़ना और उसे पूरा करवा लेना यह हमारे संगठन को देश है ।
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हमारे संगठन की गतिविधियां हमारे संगठन के लिए वीडियो में मुख्य रूप से पूरे प्रदेश में बने समूहों को जागृत करना एकत्रित करना और जो भी जहां सरकार के साथ मध्यान्ह भोजन योजना सांझा चूल्हा योजना को लेकर काम कर रहे हैं उन कामों को जन जन तक पहुंचाते हुए उसे पूरा करना निश्चित रूप से हमें लगता है।